Tuesday 26 May 2020

वक्त, हालात दफनाते रहेन्गे
पर उन अहसासो को उमंग देना
थोडी सी बगावत कर लेना...
.... आज जिन्दगी तू भी जी लेना
- Dhananjay


अच्छा हे गालीब साल के खत्म होते होते,
ये मयखाने तेरे मेरे आने की वजह नही पुछते|
इसी बहाने हम बह जाते हे उसी दर्द के चौराहे पे,
हा,और कोई आये तो कह देना ये जश्ने माहौल हे नये साल का..
Happy New Year -धनंजय


चंद सीक्को ने हम परिंदो को दूनीया दिखा दी,
गैरत हे उन पे ..ना छूटे लम्हो को लौटा पाए ना बाप में जानं फुंक पाए..

धनंजय

Jahaa najar pade usme teri yadein
Har ahaat pe jikr tera
Koi dekh bhi na paye..
Par ye jindagi,
Har falsafe pe naam tera…
Log bole soch na pawe he tu bawra
Kaise batawu unse .. Dil ki ulfat
Har soch pe kabja tera
Mai-khane me bahta rahata he dard
Utnahi
Jitna ye dawa tumhe bhula na de..
-DS

निर्माल्य

कळीच्या प्राक्तनात, रक्ताने माखलेल्या पाकळ्या
देव्हाऱ्यातही जिच्या नशिबी
फक्त निर्माल्याचा सडा
तिचा प्रश्न आज आईला
उमलू का मी सांग ना...
-धनंजय
एक जण मेला
.
.
दोन झेंड्यामध्ये प्रचंड दंगा झाला
असा कसा रे यांचा देव
जातानाही चार बळी घेऊन गेला...
.
Be calm Follow The Truth and Not The Political Stunts..

मास्क

कोन एक बोलला
शाईत उतरव कोरोना एकदा
.. असा कितीसा बाहेर मी
मनाच्या कोपऱ्यात बंदिस्त माझा मी,
चेहऱ्यावर चढवुन अनेक रंग(मास्क) …

#Masked Life#

#Masked Life#
Not Creed, nor caste
Not religion
Nor money,
Corona attacks one who is not hygiene or The disciplined..
Life is just confined to the walls,
human race first time is in cage
and
animals roam outside....
Few verbiage added to dictionary,
Lockdown is one,
Corona of sun is now, forgotten word,
It has altogether now a new level,
And fumigation is word been used five times a day,
sanitizer and mask are not the words but just the new way of life.
Path is dark but spirited are our minds
Life will heal ....
And yes keep humanity flag alive..
- Dhananjay

........दूर रहना सीखो......

........दूर रहना सीखो......
पहले तो मौत नकाबपोश होके गोली मारती थी,
अब तो बिना नकाब पहने सरें आम घुमती हे..
हात मिलाती हे, इसे पहचानो...
तुम दूर रहना सीखो..
-धनंजय

....गावकुसाबाहेरचा कोरोणा...

....गावकुसाबाहेरचा कोरोणा...
पाटयाचा दगड घेऊन हिंडतोया.
कोणाचा बी दार आज उघर न्हाय,
पोटास शिळा भाकर तुकडा वाढणारी माय पण दारात घेईना,
कोणास ठाऊक पर कोणी या उन्हाच पाणी बी पुसंना,
रात चालून दमली ,
आज पहिल्यांदाच चार घरं बराबर चालली वाटान,
पर कोणी कोणाशी बोलणं
तोंडावर फडक बांधून हिंडतयात
अधान मधन भोंगा फिरतोय
कोरोना आला बोंबलतोय
बाकी काही कर पर
लेकरांच्या पोटची भाकरी तोडू नको
आम्हां नाय राशन ना घर
हे भल्या माणसं हक्काची शिळी भाकरी काही तू तोडू नको..
- धनंजय